संज्ञा एव सर्वनाम SSC GD Hindi Notes 2025, Download PDF

संज्ञा एव सर्वनाम SSC GD Hindi व्याकरण

संज्ञा

संसार में उपलब्ध समस्त वस्तु, व्यक्ति (जीव), भाव, स्थान आदि का कोई न कोई नाम अवश्य होता है, अर्थात् नाम ही संज्ञा है। संज्ञा के बिना पहचान या भाषा का प्रयोग सम्भव नहीं है।

संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी वस्तु भाव और जीव के नाम का बोध हो मतलब कि किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।

सर्वनाम

उदाहरण:- सूरज इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक है।

उपर्युक्त वाक्य में सूरज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, शिक्षक संज्ञा है क्योंकि ये हमें किसी व्यक्ति स्थान तथा पद का बोध कराते हैं।

संज्ञा के भेद

संज्ञा के पाँच प्रकार होते हैं-

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा

(2) जातिवाचक संज्ञा

(3) भाववाचक संज्ञा

(4) समूहवाचक संज्ञा

(5) द्रव्यवाचक संज्ञा

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का पता चले, वे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; अर्थात् वे व्यक्ति या वस्तु जिन्हें हम अपनी इन्द्रियों (हाथ, कान, नाक, आँख, जीभ.) से देख या छू सकते हैं जो दुनिया में विशेष या एक हो व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाती हैं।

उदाहरण:-

  • व्यक्ति का नाम: संध्या, धर्मेश, सुरेश, सचिन आदि।
  • वस्तु का नाम: गीता, रामायण, कार, घर आदि।
  • स्थान का नाम: कच्छ, गुजरात, मुंबई, दिल्ली आदि।
  • दिशाओं के नाम: उत्तर, पश्चिम, पूर्व, दक्षिण
  • नदियों के नाम: गंगा, जमुना, सरस्वती, कावेरी , नर्मदा आदि।
(2) जातिवाचक संज्ञा

जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु या स्थान की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे:- चिड़िया, लड़की, नदियाँ, भवन, पुस्तक, पहाड़, अध्यापक, फूल, आदि।

(3) भाववाचक संज्ञा

जिस संज्ञा के माध्यम से प्राणी या वस्तु के गुण, दोष, अवस्था, दशा आदि का ज्ञान होता है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे:- प्यार, गर्व, बुराई, बुढ़ापा, थकान, गरीबी, उत्साह, क्रोध,  हँसी, साहस, वीरता आदि…|

उदाहरण:-

उत्साह , ईमानदारी , बचपन

  • उत्साह मन का भाव है।
  • ईमानदारी से गुण का बोध होता है।
  • बचपन जीवनी एक अवस्था या दशा बताता है।
(4) समूहवाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दों से एक ही जाति के व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे:- सभा, सेना, कक्षा, कर्मचारी, पुलिस आदि।

(5) द्रव्यवाचक संज्ञा

जो संज्ञा शब्द किसी धातु, द्रव्य, पदार्थ आदि का बोध कराते हैं, वे द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं;

जैसे:-  घी, तेल, दूध, चाँदी,  चीनी, चावल, आदि।

सर्वनाम

वाक्यों में एक संज्ञा प्रयुक्त होने के बाद यदि उसी संज्ञा के प्रयोग की आवश्यकता हो, तो संज्ञा के स्थान पर वह, उसका, आप आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् ‘सर्वनाम’ उस विकारी शब्द को कहते हैं जो संज्ञा के स्थान पर उसी संज्ञा के संबंध में प्रयुक्त हो।

जैसे:- वह, उसका, तुम, मैं आदि।

सर्वनाम के भेद

सर्वनाम के छः भेद हैं, हिन्दी में ग्यारह सर्वनाम शब्द हैं- मैं, तू आप, जो, सो, यह, वह, क्या, कौन, कोई, कुछ।

प्रयोगानुसार सर्वनाम के छः भेद और तीन पुरुषवाचक उपभेद भी है-

  • पुरुषवाचक
  • निजवाचक
  • निश्चयवाचक
  • अनिश्चयवाचक
  • सम्बंध वाचक
  • प्रश्नवाचक
1) पुरुषवाचक

जो सर्वनाम व्यक्ति के नाम के बदले आता है या प्रयुक्त होता है, उसे ‘पुरुषवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।

जैसे:- मैं, तुम, वह, वे, यह आदि…।

  • मैं कल कोल्हापूर जाऊंगा।
  • तुम एक बहादुर लडकी हो।

पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन उपभेद हैं

i)  उत्तम पुरूष:– बात को बोलने या काहने वाले को उत्तम पुरुष काहते है|

जैसे:- मैं, हम (बहुवचन)

ii)  मध्यम पुरूष:- बात को बोलने वाला, जिससे बाते कहता है, वह माध्यम पुरुष होता है| 

जैसे:- तू या तुम, आप, आप लोग (बहुवचन)

iii) अन्य पुरूष:- जिसके सम्बंध मे बात कही गयी हो, वह अन्यपुरुष होता है;

जैसे:- वह, यह, ये, वे (बहुवचन)

  • हम लोग मेला घुमणे आये है|
  • वे लोग चले गये|
2) निजवाचक

निजवाचक सर्वनाम का रूप ‘आप‘ है, लेकिन पुरूषवाचक सर्वनाम मध्यम पुरूष (बहुवचन) में प्रयुक्त होने वाले ‘आप‘ से भिन्न होता है। इस सर्वनाम का प्रयोग किसी निराकरण तथा अवधारण के लिए होता है।

(i) आप का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के निश्चय या अवधारणा के लिए होता है|

जैसे:- 1) मैं आप ही चला आया था।

          2) मै आप एक जैसे ही है|  

(ii) निजवाचक रूप आप का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है।

जैसे:- 1) आप भले तो जग भला।

          2)  अपने को कम न समों।

(iii) सर्वसाधारण के अर्थ में भी आप प्रयुका होता है।

जैसे:- अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए।

3) निश्चयवाचक

जिस सर्वनाम से वक्ता की किसी वस्तु का निश्चित बोध हो, चाहे वह वस्तु पास हो या दूर, ‘निश्वयवाचक सर्वनाम’ कहलाता है।

जैसे:- वह, यह, वे, उस 

उदाहरण :–

  1. यह कोई भला काम नहीं है|
  2. वह कौन आ रहा है ?
  3. यह पुस्तक है। (पास की वस्तु)
  4. वह अच्छी पुस्तक है। (दूर की वस्तु)
  5. वह पैन मेरा नहीं है।
  6. उस मटके में पानी नहीं है।
  7. यह घर मेरे दादा जी ने बनवाया था।
4) अनिश्चयवाचक

जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है, जिस सर्वनाम से किसी वस्तु का निश्चित या स्पष्ट बोध न हो, उसे ‘अनिश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।

जैसे:– कोई, कुछ

उदाहरण:–

  1. उसने कुछ खाया कि नहीं ?
  2. कोई आ रहा है।
5) संबंधवाचक

जिस सर्वनाम से दो व्यक्ति या वस्तु के बीच परस्पर (एक-दूसरे) सम्बन्ध स्थापित या प्रकट हो, उसे ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते है।

जैसे:– जो, सो

उदाहरण:- 

  • वह कौन है जो हँस रहा है ?
  • जो बोओगे सो काटोगे।
6) प्रश्नवाचक

प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उसे ‘प्रश्नवाचक सर्वनाम‘ कहते हैं।

जैसे:- कौन, कहाँ, क्या, कैसे आदि।

उदाहरण

  • तुम कहाँ जा रहे हो?
  • वह कौन जा रहा है ?

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