विशेषण और अव्यय SSC GD Hindi
विशेषण और अव्यय SSC GD: जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए, उसे ‘विशेषण’ कहते हैं तथा जिसकी विशेषता बताई जाए, वह ‘विशेष्य’ कहलाता है। अर्थात् शब्दों में विशेषण ऐसा विकारी शब्द है जो हमेशा हर हाल में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। विशेषण से संज्ञा का गुण अथवा विशेषता प्रकट होती है, इसके प्रयोग से जातिवाचक संज्ञा की व्यापकता सीमित हो जाती है।
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जैसे ‘कुत्ता’ संज्ञा से कुत्ता जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है, पर काला कुत्ता’ कहने से केवल काले कुत्ते का बोध होता है, सभी तरह के कुत्तों का नहीं। यहाँ ‘काला’ विशेषण से ‘कुत्ता’ संज्ञा की व्यापकता सीमित हो गई।, संज्ञा के साथ-नामक, सा, रूपी, सम्बंधी आदि शब्द प्रयुक्त करके विशेषण बनाया जाता है।
जैसे –
- कोयल मीठा बोलती है।
- बालक चतुर है।
- शेर दहाड़ता है।
Note:- विशेषण का उपयोग बिना संज्ञा के नहीं हो सकता।
विशेषण के भेद
गुण, संख्या और परिमाण के आधार पर विशेषण के चार भेद हैं
1. सार्वनामिक विशेषण
2. गुणवाचक विशेषण
3. संख्यावाचक विशेषण
4. परिमाणवाचक विशेषण
1. सार्वनामिक विशेष
निजवाचक और पुरुषवाचक सर्वनाम (मैं, तू) के अतिरिक्त अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पूर्व आते हैं, तब वे ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं। अर्थात जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के पहले आकर विशेषण का काम करते हैं, उन्हे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे –
- वह आदमी अच्छे से काम करना जानता है।
- यह लड़की वही है जो मर गयी थी।
- उपर्युक्त उदाहरणों में ‘आदमी’ और ‘ लड़की ‘ संज्ञाओं के पहले विशेषण के रूप में ‘वह’ और ‘यह’ सर्वनाम आए हैं। अत सार्वनामिक विशेषण हैं।
2. गुणवाचक विशेषण
जिन विशेषणों से संज्ञा के गुण, रंग, आकार, स्वभाव, दशा आदि रूप का बोध होता है, उन्हें ‘गुणवाचक विशेषण’ कहते हैं।
जैसे –
- जयपुर में पुराना घर है।
- जापान में स्वस्थ लोग रहते हैं।
- स्वर्गवाहिनी गंदी नदी है।
- उपर्युक्त वाक्यों में पुरना, स्वच्छ, और गंदी शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। गुण का अर्थ अच्छाई ही नहीं, किन्तु कोई भी विशेषता। अच्छा, बुरा, खरा, खोटा सभी प्रकार के गुण इसके अंतर्गत आते हैं।
स्थान:- उजाड़, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, भारतीय, स्थानीय, चौरस, बाहरी, ऊपरी, पूरबी, ढाँचा, पछियाँ,बाँया, भीतरी, आदि।
रंग संबंधी:- काला, लाल, नीला, हरा, बैंगनी, सुनहरा, धुँधला,फीका, आदि।
समय संबंधी:- पुराना, ताजा, वर्तमान, भूत, भविष्य, प्राचीन, अगला आदि।
संज्ञा संबंधी:- मुंबईया, बनारसी, लखनवी आदि।
दशा/अवस्था संबंधी:- गरीब, उद्यमी, दुबला, पिघला, गीला, रोगी, पालतू, घना आदि।
आकार संबंधी:- सुडौल, चौड़ा, समान, गोल, तिरछा, नुकीला, लंबा, आदि ।
गुण संबंधी:- बुरा, भला, उचित, सच्चा, शांत, सीधा, दुष्ट, न्यायी, पापी आदि।
विचार दृष्टि:- गुणवाचक विशेषण में सा सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम या सीमित भी किया जा सकता है।
जैसे – छोटा-सा, बड़ी-सी, पीला-सा आदि।
3. संख्यावाचक विशेषण
जिन विशेषणों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या प्रदर्शित हो, उसे संख्यावाचक विशेषण’ कहते हैं।
जैसे – तीन दिन, चार कुत्ते, दस गुने लोग, पंचम वर्ण आदि।
संख्यावाचक विशेषण के मुख्यतः दो भेद हैं-
- निश्चित संख्यावाचक
- अनिश्चित संख्यावाचक
(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण– इस विशेषण से वस्तु की निश्चित संख्या का बोध होता है।
जैसे- दो लड़के, चार लोग, बीस रूपया आदि।
1. क्रमबोधक: पहला, दूसरा, तीसरा,……हजारवाँ चौगुना आदि ।
उदाहरण:
- पहला लड़का यहाँ आए।
- दूसरा लड़का वहाँ बैठे।
2. आवृत्तिबोधक : दोगुना, तिगुना,
उदाहरण:
- कृष्णा तुमसे चौगुना काम करता है।
- गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।
3. समुदायबोधक: तीनों, चारों, पाँचों आदि ।
उदाहरण:
- तुम तीनों को स्कूल जाना पड़ेगा।
- यहाँ से चारों चले जाओ।
4. प्रत्येकबोधक: एक-एक, हर एक आदि।
उदाहरण:
- प्रत्येक को प्रसाद मिला।
- एक-एक व्यक्ति पनि मे डूब गया।
5. गणनाबोधक/पूर्णांकबोधक: एक, दो, नौ, हजार आदि।
उदाहरण:
- पच्चीस रुपये दीजिए।
- कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे।
6. अपूर्णांकबोधक: पाव, आधा, पौन, सवा, डेढ़ आदि।
उदाहरण:
- पापा ने मुझे सवा सौ रुपये दिये।
- दूधिया ने मुझे डेढ़ ग्राम दूध कम दिया।
(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण– इसमें वस्तु की संख्या का निश्चित बोध नहीं होता है।
जैसे- कई, बड़े, कितने, कम, थोड़ा आदि ।
4. परिमाणवाचक विशेषण
किसी पदार्थ या वस्तु की मात्रा, परिमाण, नाप या तौल का बोध कराने वाले शब्दों को परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- उसे चार किलो टमाटार चाहिए।
- एक मीटर कपड़ा लेकर आओ।
- बीमार को थोड़ा पानी देना चाहिए।
- मुझे थोड़ा सा खाना चाहिए।
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते हैं–
(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-
किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की निश्चित मात्रा, परिमाण, नाप या तौल का बोध कराने वाले शब्दों को निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:-
तीन किलो अनाज, दो सेर गेहूँ, चार मीटर कपड़ा, चार किलो आलू आदि।
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक:-
विशेषण किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की अनिश्चित मात्रा, परिमाण, नाप या तौल का बोध कराने वाले शब्दों को अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे – थोड़ा पानी, थोड़ा अनाज, कुछ फल, बहुत सारा धन आदि।
अव्यय
जिन शब्दों में लिंग, वचन और कारक से कोई विकार उत्पन्न नहीं होता तथा शब्द रूप सदैव एक से बने रहते हैं, उन्हें ‘अव्यय’ या ‘अविकारी’ शब्द कहते हैं। चूँकि इनका व्यय नहीं होता, अतः ये अव्यय हैं।
जैसे – कब, कहाँ, क्यों, कैसे, किसने, उधर, ऊपर, इधर, अरे, तथा, और, लेकिन, क्योंकि, परंतु, केवल, अतएव, अर्थात आदि।
अव्यय के भेद–
सामान्यतः अव्यय के चार भेद होते हैं-
(1) क्रियाविशेषण अव्यय
(2) संबंधबोधक अव्यय
(3) समुच्चय बोधक अव्यय
(4) विस्मयादिबोधक अव्यय